


भारत की धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा में अनेक शक्तिपीठ ऐसे हैं, जो न केवल भक्ति के केंद्र हैं, बल्कि गूढ़ तांत्रिक साधनाओं के रहस्य भी समेटे हुए हैं। कामाख्या शक्तिपीठ और उससे जुड़ा कोलाचार इन्हीं में से एक है — जहाँ शक्ति, साधना और रहस्य एक साथ मिलते हैं।
कामाख्या शक्तिपीठ: देवी सती की योनि की भूमि
कामाख्या मंदिर असम के गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर नीलगिरी (नीलांचल) पर्वत पर स्थित है। यह भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख शक्तिपीठ है।
पौराणिक मान्यता
जब माता सती ने यज्ञ में कूदकर देह त्यागी, तब भगवान शिव ने उनके शरीर को उठाकर तांडव किया। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित किया, जिससे उसके अंग पृथ्वी के विभिन्न स्थानों पर गिरे।
कामाख्या वही स्थान है जहाँ देवी सती की योनि गिरी थी। यही कारण है कि यह मंदिर प्रजनन शक्ति और रजस्वला देवी की उपासना का केंद्र है।
कामाख्या और रजस्वला देवी की उपासना
हर वर्ष जून महीने में यहाँ "अंबुबाची मेला" होता है, जिसे देवी का मासिक धर्म माना जाता है। इस दौरान मंदिर के गर्भगृह के पट बंद रहते हैं और भूमि से लाल जल बहता है — जिसे शक्ति की सक्रियता और उर्वरता का प्रतीक माना जाता है।
कोलाचार तंत्र की परंपरा
कोलाचार शब्द "कौल" से निकला है, जिसका अर्थ है — गूढ़ साधना पद्धति। यह तंत्र की पाँच मुख्य शाखाओं (काम, क्रोध, मद, मोह, मात्सर्य) में से एक है, जिसमें मानव के भीतर छिपे चेतन और अचेतन बलों को जागृत कर, आत्म-परिवर्तन और दिव्यता की ओर बढ़ा जाता है।
कोलाचार की प्रमुख विशेषताएँ
1. पंचमकार साधना: मद्य, मांस, मीन, मुद्रा और मैथुन — जिन्हें प्रतीकात्मक रूप से आंतरिक चेतना की मुक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है।
2. गुप्त तांत्रिक अनुष्ठान: रात्रिकालीन, विशेष चक्रों में सम्पन्न होने वाले अनुष्ठान, जिसमें मंत्र, यंत्र, और मुद्रा का उपयोग होता है।
3. गुरु-दीक्षा परंपरा: बिना योग्य गुरु के कोलाचार में प्रवेश वर्जित है।
4. स्त्री को देवी रूप में देखना: स्त्री-शक्ति को परमात्मा का प्रतिबिंब मानकर उसकी पूजा की जाती है।
कामाख्या में कोलाचार की स्थिति
कामाख्या आज भी तंत्र साधकों, अघोरियों और सिद्धों की प्रमुख साधना भूमि है। विशेष पर्वों पर, विशेषकर अंबुबाची और गुप्त नवरात्रि के समय, यहाँ गुप्त तांत्रिक अनुष्ठान होते हैं — जो बाहरी जनसाधारण से छिपे रहते हैं।
सामाजिक दृष्टि से कोलाचार की भ्रांतियाँ
कोलाचार को लेकर समाज में कई भ्रांतियाँ फैली हुई हैं — जैसे कि यह केवल काला जादू या अशुद्ध प्रथा है। लेकिन वास्तव में यह एक गहन आध्यात्मिक साधना मार्ग है, जहाँ व्यक्ति अपने काम, वासना, क्रोध और मोह पर विजय पाकर परम चेतना से जुड़ता है।
कामाख्या शक्तिपीठ केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि शक्ति और तंत्र साधना की ऊर्जा-भूमि है। कोलाचार, इस पीठ की आत्मा है — जो साधक को भीतर की शक्ति से जोड़ता है। यह स्थान उन रहस्यों को समेटे हुए है, जिन्हें केवल श्रद्धा नहीं, साधना और समर्पण से ही समझा जा सकता है।